ਦਸਮ ਗਰੰਥ । दसम ग्रंथ ।

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ਅਥ ਨਲਨੀ ਸੁਕ ਉਨੀਵੋ ਗੁਰੂ ਕਥਨੰ ॥

अथ नलनी सुक उनीवो गुरू कथनं ॥

ਕ੍ਰਿਪਾਣ ਕ੍ਰਿਤ ਛੰਦ ॥

क्रिपाण क्रित छंद ॥

ਮੁਨਿ ਅਤਿ ਅਪਾਰ ॥

मुनि अति अपार ॥

ਗੁਣ ਗਣ ਉਦਾਰ ॥

गुण गण उदार ॥

ਬਿਦਿਆ ਬਿਚਾਰ ॥

बिदिआ बिचार ॥

ਨਿਤ ਕਰਤ ਚਾਰ ॥੩੮੯॥

नित करत चार ॥३८९॥

ਲਖਿ ਛਬਿ ਸੁਰੰਗ ॥

लखि छबि सुरंग ॥

ਲਾਜਤ ਅਨੰਗ ॥

लाजत अनंग ॥

ਪਿਖਿ ਬਿਮਲ ਅੰਗ ॥

पिखि बिमल अंग ॥

ਚਕਿ ਰਹਤ ਗੰਗ ॥੩੯੦॥

चकि रहत गंग ॥३९०॥

ਲਖਿ ਦੁਤਿ ਅਪਾਰ ॥

लखि दुति अपार ॥

ਰੀਝਤ ਕੁਮਾਰ ॥

रीझत कुमार ॥

ਗ੍ਯਾਨੀ ਅਪਾਰ ॥

ग्यानी अपार ॥

ਗੁਨ ਗਨ ਉਦਾਰ ॥੩੯੧॥

गुन गन उदार ॥३९१॥

ਅਬ੍ਯਕਤ ਅੰਗ ॥

अब्यकत अंग ॥

ਆਭਾ ਅਭੰਗ ॥

आभा अभंग ॥

ਸੋਭਾ ਸੁਰੰਗ ॥

सोभा सुरंग ॥

ਤਨ ਜਨੁ ਅਨੰਗ ॥੩੯੨॥

तन जनु अनंग ॥३९२॥

ਬਹੁ ਕਰਤ ਨ੍ਯਾਸ ॥

बहु करत न्यास ॥

ਨਿਸਿ ਦਿਨ ਉਦਾਸ ॥

निसि दिन उदास ॥

ਤਜਿ ਸਰਬ ਆਸ ॥

तजि सरब आस ॥

ਅਤਿ ਬੁਧਿ ਪ੍ਰਕਾਸ ॥੩੯੩॥

अति बुधि प्रकास ॥३९३॥

ਤਨਿ ਸਹਤ ਧੂਪ ॥

तनि सहत धूप ॥

ਸੰਨ੍ਯਾਸ ਭੂਪ ॥

संन्यास भूप ॥

ਤਨਿ ਛਬਿ ਅਨੂਪ ॥

तनि छबि अनूप ॥

ਜਨੁ ਸਿਵ ਸਰੂਪ ॥੩੯੪॥

जनु सिव सरूप ॥३९४॥

ਮੁਖ ਛਬਿ ਪ੍ਰਚੰਡ ॥

मुख छबि प्रचंड ॥

ਆਭਾ ਅਭੰਗ ॥

आभा अभंग ॥

ਜੁਟਿ ਜੋਗ ਜੰਗ ॥

जुटि जोग जंग ॥

ਨਹੀ ਮੁਰਤ ਅੰਗ ॥੩੯੫॥

नही मुरत अंग ॥३९५॥

ਅਤਿ ਛਬਿ ਪ੍ਰਕਾਸ ॥

अति छबि प्रकास ॥

ਨਿਸਿ ਦਿਨ ਨਿਰਾਸ ॥

निसि दिन निरास ॥

ਮੁਨਿ ਮਨ ਸੁਬਾਸ ॥

मुनि मन सुबास ॥

ਗੁਨ ਗਨ ਉਦਾਸ ॥੩੯੬॥

गुन गन उदास ॥३९६॥

ਅਬ੍ਯਕਤ ਜੋਗ ॥

अब्यकत जोग ॥

ਨਹੀ ਕਉਨ ਸੋਗ ॥

नही कउन सोग ॥

ਨਿਤਪ੍ਰਤਿ ਅਰੋਗ ॥

नितप्रति अरोग ॥

ਤਜਿ ਰਾਜ ਭੋਗ ॥੩੯੭॥

तजि राज भोग ॥३९७॥

ਮੁਨ ਮਨਿ ਕ੍ਰਿਪਾਲ ॥

मुन मनि क्रिपाल ॥

ਗੁਨ ਗਨ ਦਿਆਲ ॥

गुन गन दिआल ॥

ਸੁਭਿ ਮਤਿ ਸੁਢਾਲ ॥

सुभि मति सुढाल ॥

ਦ੍ਰਿੜ ਬ੍ਰਿਤ ਕਰਾਲ ॥੩੯੮॥

द्रिड़ ब्रित कराल ॥३९८॥

ਤਨ ਸਹਤ ਸੀਤ ॥

तन सहत सीत ॥

ਨਹੀ ਮੁਰਤ ਚੀਤ ॥

नही मुरत चीत ॥

ਬਹੁ ਬਰਖ ਬੀਤ ॥

बहु बरख बीत ॥

ਜਨੁ ਜੋਗ ਜੀਤ ॥੩੯੯॥

जनु जोग जीत ॥३९९॥

ਚਾਲੰਤ ਬਾਤ ॥

चालंत बात ॥

ਥਰਕੰਤ ਪਾਤ ॥

थरकंत पात ॥

ਪੀਅਰਾਤ ਗਾਤ ॥

पीअरात गात ॥

ਨਹੀ ਬਦਤ ਬਾਤ ॥੪੦੦॥

नही बदत बात ॥४००॥

ਭੰਗੰ ਭਛੰਤ ॥

भंगं भछंत ॥

ਕਾਛੀ ਕਛੰਤ ॥

काछी कछंत ॥

ਕਿੰਗ੍ਰੀ ਬਜੰਤ ॥

किंग्री बजंत ॥

ਭਗਵਤ ਭਨੰਤ ॥੪੦੧॥

भगवत भनंत ॥४०१॥

ਨਹੀ ਡੁਲਤ ਅੰਗ ॥

नही डुलत अंग ॥

ਮੁਨਿ ਮਨ ਅਭੰਗ ॥

मुनि मन अभंग ॥

ਜੁਟਿ ਜੋਗ ਜੰਗ ॥

जुटि जोग जंग ॥

ਜਿਮਿ ਉਡਤ ਚੰਗ ॥੪੦੨॥

जिमि उडत चंग ॥४०२॥

ਨਹੀ ਕਰਤ ਹਾਇ ॥

नही करत हाइ ॥

ਤਪ ਕਰਤ ਚਾਇ ॥

तप करत चाइ ॥

ਨਿਤਪ੍ਰਤਿ ਬਨਾਇ ॥

नितप्रति बनाइ ॥

ਬਹੁ ਭਗਤ ਭਾਇ ॥੪੦੩॥

बहु भगत भाइ ॥४०३॥

ਮੁਖ ਭਛਤ ਪਉਨ ॥

मुख भछत पउन ॥

ਤਜਿ ਧਾਮ ਗਉਨ ॥

तजि धाम गउन ॥

ਮੁਨਿ ਰਹਤ ਮਉਨ ॥

मुनि रहत मउन ॥

ਸੁਭ ਰਾਜ ਭਉਨ ॥੪੦੪॥

सुभ राज भउन ॥४०४॥

ਸੰਨ੍ਯਾਸ ਦੇਵ ॥

संन्यास देव ॥

ਮੁਨਿ ਮਨ ਅਭੇਵ ॥

मुनि मन अभेव ॥

ਅਨਜੁਰਿ ਅਜੇਵ ॥

अनजुरि अजेव ॥

ਅੰਤਰਿ ਅਤੇਵ ॥੪੦੫॥

अंतरि अतेव ॥४०५॥

ਅਨਭੂ ਪ੍ਰਕਾਸ ॥

अनभू प्रकास ॥

ਨਿਤਪ੍ਰਤਿ ਉਦਾਸ ॥

नितप्रति उदास ॥

ਗੁਨ ਅਧਿਕ ਜਾਸ ॥

गुन अधिक जास ॥

ਲਖਿ ਲਜਤ ਅਨਾਸ ॥੪੦੬॥

लखि लजत अनास ॥४०६॥

ਬ੍ਰਹਮੰਨ ਦੇਵ ॥

ब्रहमंन देव ॥

ਗੁਨ ਗਨ ਅਭੇਵ ॥

गुन गन अभेव ॥

ਦੇਵਾਨ ਦੇਵ ॥

देवान देव ॥

ਅਨਭਿਖ ਅਜੇਵ ॥੪੦੭॥

अनभिख अजेव ॥४०७॥

ਸੰਨਿਆਸ ਨਾਥ ॥

संनिआस नाथ ॥

ਅਨਧਰ ਪ੍ਰਮਾਥ ॥

अनधर प्रमाथ ॥

ਇਕ ਰਟਤ ਗਾਥ ॥

इक रटत गाथ ॥

ਟਕ ਏਕ ਸਾਥ ॥੪੦੮॥

टक एक साथ ॥४०८॥

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